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दिल्ली उच्च न्यायालय की दिल्ली सरकार को फटकार, सरकार के ढीले कामकाज़ पर उठाये सवाल

 27 Apr 2024

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार के ढीले कामकाज़ को लेकर कड़े शब्दों के साथ फटकार लगायी है। नगर निगम स्कूल के बच्चों को किताबें न मिलने और नगर-निगम में राजनीतिक खींचतान को लेकर कोर्ट ने अपनी गहरी नाराज़गी ज़ाहिर की है। कोर्ट ने कहा, ‘हमें मज़बूर न करें कि हम दिल्ली सरकार को ‘जेल’ से चलाये जाने पर कोई फ़ैसला करें।



केजरीवाल निजी हितों को प्राथमिकता दे रहे हैं


दिल्ली के उच्च न्यायालय में दिल्ली सरकार के ख़िलाफ़ एक याचिका दायर की गयी थी। जिसमें कहा गया कि दिल्ली नगर-निगम में भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच राजनीतिक खींचतान के चलते बच्चों को स्कूल की किताबें तक नहीं मिल पा रही हैं। नगर निगम के बच्चे टीन के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मज़बूर हैं। मामले की सुनवाई कर रहे दिल्ली उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायाधीश प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच ने दिल्ली सरकार को इस मामले में फटकार लगायी है।

कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गिरफ़्तारी के बावज़ूद अपना इस्तीफ़ा नहीं दिया है। केजरीवाल ने राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता न देते हुए अपने निजी हितों को प्राथमिकता दी हुई है। सरकार के ढ़ीले कामकाज़ को लेकर कोर्ट ने कार्रवाई के दौरान मौज़ूद दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज को भी कड़े शब्दों के साथ फटकार लगायी है।

दिल्ली सरकार की तरफ़ से पैरवी कर रहे वकील शादान फरासत ने कहा कि सरकार में स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने उन्हें बताया है कि नगर निगम की स्थायी समिति की ग़ैर-मौज़ूदगी की स्थिति में किसी उपायुक्त प्राधिकारी को शक्तियाँ सौंपने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री की सहमति की आवश्यकता होती है, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल अभी जेल में हैं। कोर्ट ने इसपर तीख़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने छात्रों की दुर्दशा से अपनी आँखें मीच ली हैं, भारद्वाज बस अब घड़ियाली आँसू बहा रहे हैं। कोर्ट ने सौरभ भारद्वाज का नाम भी अपने ऑर्डर में शामिल करने को कहा है।


दिल्ली सरकार को छात्रों की कोई परवाह नहीं


कोर्ट ने दिल्ली सरकार पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा, ‘ऐसा लग रहा है कि सरकार को छात्रों की समस्याओं से कोई-लेना देना नहीं है।’ सरकार को कोई परवाह नहीं है कि छात्र स्कूल जायें या नहीं। सरकार का पूरा ध्यान बस सत्ता में है। मुख्य न्यायाधीश मनमोहन ने कहा कि बच्चों को उनकी हालात पर नहीं छोड़ा जा सकता है, यह सही नहीं है कि बच्चों के पास उनकी किताबें ही न हो।


कोर्ट ने दिल्ली सरकार को जेल से चलाये जाने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कोर्ट को उस रास्ते पर जानें के लिए मज़बूर न किया जाये, जिसपर कोर्ट जाना नहीं चाहता है। कोर्ट पहले ही दिल्ली सरकार को ‘जेल से सरकार’ चलाये जाने को लेकर अपना फ़ैसला दे चुका है जिसके तहत अंतिम फ़ैसला दिल्ली सरकार को ही लेना होगा। अगर दिल्ली सरकार चाहती है कि कोर्ट कोई विचार करे, तो कोर्ट इसके बारे में सोचेगा।